गर्मी की एक उमस भरी रात थी। दिल्ली के एक छोटे से मोहल्ले में, जहाँ बिजली कटौती आम बात थी, 38 साल की शालिनी अपने कमरे में पंखे की हवा में लेटी थी। उसकी साड़ी का पल्लू थोड़ा सरक गया था, जिससे उसकी गोरी कमर और गहरी नाभि नजर आ रही थी। शालिनी एक खूबसूरत औरत थी—लंबे काले बाल, भरी हुई छाती, और आँखों में एक ऐसी चमक जो किसी को भी बेकाबू कर दे। दो साल पहले उसकी शादी अजय के पिता से हुई थी, लेकिन उसका पति ज्यादातर काम के सिलसिले में बाहर रहता था। घर में अब सिर्फ़ शालिनी और उसका 22 साल का सौतेला बेटा, अजय, थे।
अजय अपने कमरे में था, लेकिन नींद उसकी आँखों से कोसों दूर थी। उसकी नजरें बार-बार शालिनी के कमरे की ओर जा रही थीं, जहाँ दरवाजा हल्का सा खुला था। उसने शालिनी को कभी माँ की नजर से नहीं देखा था। उसके लिए वो एक औरत थी—एक ऐसी औरत जिसके हुस्न का नशा उसे हर रात परेशान करता था। आज रात, वो नशा हद से गुजरने वाला था।
अजय धीरे से बिस्तर से उठा और शालिनी के कमरे की ओर बढ़ा। दरवाजे के पास रुक कर उसने अंदर झाँका। शालिनी करवट ले रही थी, उसकी साड़ी अब और सरक गई थी, जिससे उसकी जाँघें नजर आ रही थीं। अजय की साँसें तेज हो गईं। उसने हिम्मत जुटाई और हल्के से खटखटाया।
“कौन है?” शालिनी की नींद भरी आवाज आई।
“मैं हूँ… अजय,” उसने कहा, उसकी आवाज में एक अजीब सी कशिश थी।
शालिनी ने आँखें खोलीं और उसे देखा। “इतनी रात को क्या हुआ?” उसने पूछा, लेकिन उसकी आवाज में नरमी थी, जैसे उसे अजय का आना बुरा नहीं लगा।
“पानी चाहिए था… गला सूख रहा है,” अजय ने बहाना बनाया, लेकिन उसकी नजरें शालिनी की छाती पर टिकी थीं, जहाँ साड़ी का आँचल अब नाममात्र को ही ढक रहा था।
शालिनी मुस्कुराई, एक ऐसी मुस्कान जो मासूमियत और शरारत का मिश्रण थी। “पानी तो रसोई में है, यहाँ क्यों आए?” उसने कहा और बिस्तर पर उठ कर बैठ गई। साड़ी का पल्लू अब पूरी तरह गिर गया, और उसकी ब्लाउज में कैद भरे हुए उभार साफ नजर आ रहे थे।
अजय का दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। “मुझे… मुझे लगा आप जाग रही होंगी,” उसने हकलाते हुए कहा।
“जाग तो रही हूँ,” शालिनी ने कहा और बिस्तर से उठ कर उसके पास आई। उसकी चाल में एक लचक थी, जैसे वो जानबूझ कर उसे ललचा रही हो। “लेकिन पानी की बात झूठ है ना? कुछ और चाहिए тебе?” उसकी आँखों में चमक थी, और उसने जानबूझ कर “तुझे” कहा, जैसे रिश्ते की दीवार को तोड़ रही हो।
अजय ने गहरी साँस ली। “हाँ… कुछ और चाहिए,” उसने कहा और एक कदम आगे बढ़ा। अब वो शालिनी के इतने करीब था कि उसकी साँसें उसके चेहरे पर महसूस हो रही थीं।
“बता ना, क्या चाहिए?” शालिनी ने उसकी आँखों में देखते हुए कहा, उसकी आवाज अब धीमी और कामुक हो गई थी।
“तुम,” अजय ने बिना रुके कहा, और अगले ही पल उसने शालिनी की कमर पकड़ कर उसे अपनी ओर खींच लिया। शालिनी ने कोई विरोध नहीं किया। उसकी साँसें भी अब तेज हो गई थीं।
“ये गलत है, अजय,” उसने कहा, लेकिन उसकी आवाज में वो दृढ़ता नहीं थी। उसका हाथ अजय की छाती पर था, जैसे वो उसे रोकना चाहती हो, पर उसकी उंगलियाँ धीरे-धीरे उसकी शर्ट के बटन खोलने लगीं।
“गलत हो तो रोक दो मुझे,” अजय ने चुनौती भरे लहजे में कहा और उसकी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए। शालिनी की एक हल्की सी सिसकारी निकली। उसका शरीर अब काँप रहा था, न चाहते हुए भी वो उसकी बाहों में पिघल रही थी।
अजय ने उसे बिस्तर की ओर धकेला और उसकी साड़ी को पूरी तरह खींच कर अलग कर दिया। शालिनी अब सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट में थी। उसकी गोरी त्वचा चाँदनी में चमक रही थी। “तू कितना बदमाश है,” उसने हँसते हुए कहा, लेकिन उसकी आँखों में वासना साफ झलक रही थी।
“और तू कितनी खूबसूरत है,” अजय ने जवाब दिया और उसका ब्लाउज खोल दिया। शालिनी के भरे हुए स्तन अब आजाद थे, और अजय की नजरें उन पर ठहर गईं। उसने अपने हाथों से उन्हें सहलाया, और शालिनी के मुँह से एक जोरदार “आह” निकली।
“धीरे… कोई सुन लेगा,” उसने कहा, लेकिन उसकी आवाज में मस्ती थी।
“सुन ले तो सुन ले, आज रात तुझे मेरे सिवा कुछ नजर नहीं आएगा,” अजय ने कहा और उसे बिस्तर पर लिटा दिया। उसने अपने कपड़े उतार दिए और शालिनी के ऊपर झुक गया। उसकी जाँघों के बीच उसने अपना हाथ फेरा, और शालिनी की सिसकियाँ तेज हो गईं।
“अजय… मत रुकना,” उसने फुसफुसाते हुए कहा, और ये सुनते ही अजय ने अपना पूरा जोर लगा दिया। उसने शालिनी के पेटीकोट को ऊपर उठाया और उसे अपने शरीर से जोड़ लिया। जब वो उसके अंदर दाखिल हुआ, शालिनी की चीख निकल गई—“हाय… भगवान!”—लेकिन उसने उसे और कस कर पकड़ लिया।
दोनों का तालमेल अब एक लय में था। अजय हर धक्के के साथ शालिनी को अपने करीब ला रहा था, और शालिनी की साँसें, सिसकियाँ, और “हाँ… और जोर से” की पुकार कमरे में गूँज रही थी। पसीने से भीगे उनके शरीर एक-दूसरे में समा रहे थे।
“तुझे ऐसा पहले कभी नहीं मिला ना?” अजय ने उसके कान में कहा, उसकी रफ्तार बढ़ाते हुए।
“नहीं… तू बहुत गंदा है,” शालिनी ने हाँफते हुए जवाब दिया, लेकिन उसकी आँखें बंद थीं और चेहरा सुख से लाल हो गया था।
आखिरकार, एक लंबी, गहरी सिसकारी के साथ दोनों ने चरम को छू लिया। शालिनी का शरीर काँप रहा था, और अजय उसके ऊपर लेट गया, दोनों की साँसें अब धीमी हो रही थीं।
“ये हमारा राज रहेगा,” शालिनी ने कहा, उसकी उंगलियाँ अजय के बालों में फिरते हुए।
“हर रात का राज,” अजय ने मुस्कुराते हुए कहा, और शालिनी ने उसे चूम लिया।
उस रात के बाद, घर की दीवारों ने कई ऐसी रातें देखीं, जहाँ शालिनी और अजय ने हर हद को पार किया।